अध्यात्म की दृष्टि में पैसा सिर्फ एक पूरक का काम करता है – रोटी रोज़ी और अन्य जरूरत की वस्तुओं के लिए | हर आध्यात्मिक साधक ब्रह्म से एक चीज मांगता है – कि लक्ष्मीजी की इतनी कृपा बनी रहे घर में basic necessities की कभी कमी न हो | इसके अलावा अध्यात्म कर्म को पूरी शिद्दत के साथ करने पर जोर देता है | पुण्य कर्म में संलग्न रहें खुश रहें |
पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani