जन्म और मरण वह आध्यात्मिक क्रिया है जिसके द्वारा आत्मा धरती पर एक के बाद एक स्वरूप बदलती है | अपने जीवनकाल में आत्माएं 84 लाख योनियों के फेर से गुजरती हैं | सबसे पहला शरीर धारण करती है अमीबा का | जब इस जीव की आयु पूरी हो जाती है तो मृत्यु को प्राप्त होता है | फिर आत्मा नया शरीर धारण करती है और जन्म मरण का क्रम चालू हो जाता है |
73 लाख योनियों से गुजरने के बाद आत्मा एक के बाद एक मनुष्य रूप धारण करती है | इस जन्म मरण के चक्रव्यूह से आत्मा को छुटकारा तभी मिलता है जब मनुष्य आध्यात्मिक होकर 84 लाखवी योनि में पहुंचने में कामयाब होता है जैसे महर्षि रमण | जैसे ही महर्षि रमण तत्वज्ञानी ने शरीर त्यागा (मृत्यु को प्राप्त हुए) – उन्हें मोक्ष हो गया – यानी आत्मा अपने पूर्ण शुद्ध रूप में वापस आ चुकी है और अब उसका मनुष्य शरीर धारण करने में कोई प्रयोजन नहीं रहा |
Are there 8.4 million species on Earth? चौरासी लाख योनियों का सच | Vijay Kumar Atma Jnani