भगवान हमारे अंदर है तो गलती करने से क्यों नहीं रोकते ?


भगवान हमारे अंदर अंश रूप में, हमारे हृदय में सारथी (कृष्ण यानी हमारी आत्मा) के रूप में विद्यमान हैं | जब से हम पैदा हुए, हम अगर हृदय से आती आवाज़ को सुनना चाहेंगे – तो पाएंगे कि किसी भी गलत काम को करने / होने से पहले कृष्ण हमें सचेत करते हैं | जो साधक सत्य को अपनाएं हुए है वह तो भलीभांति उस आवाज़ को सुन लेता है लेकिन उसका क्या जो असत्य के मार्ग पर चल रहा है ?

 

हम हृदय से आती आवाज़ तभी सुन सकते हैं जब हम सत्य पर पूर्णतया 100% स्थापित हों | मुझे अपने 63 वर्ष के आध्यात्मिक सफर में पूरी दुनिया में 10 लोग भी नहीं मिले जो 100 तो क्या 95% भी सत्य पर स्थापित हों ? ऐसे में आत्मा की आवाज़ दब जाएगी और एक दिन ऐसा आएगा जब वह पूर्णतया आनी बंद हो जाएगी – यानी झूठ का सहारा लेना हमारी आदत हो गई है |

 

ब्रह्म ने हर इंसान को free will और विवेक दिया है और सख्ती से कहा है – 11 लाख योनियों का फेर है, तू जैसे चाहे जी | जीवन के किसी भी क्षण जिम्मेदारी ब्रह्म अथवा आत्मा की नहीं, फिर भी आत्मा मदद की भरपूर कोशिश करती है | 63 साल के जीवन में मुझे आज भी आत्मा की आवाज़ ऐसे सुनाई देती है जैसे आमने सामने बैठे हों |

 

Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar

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