हमे भगवान की जरूरत तब महसूस होती है जब डर सताता है | अपने कुशलक्षेम की खातिर हम भगवान को समय समय पर याद करते रहते हैं | मंदिर जाते हैं, पूजापाठ में लगे रहते हैं, भजन कीर्तन करते हैं | आध्यात्मिक साधक को भगवान की जरूरत तब महसूस होती है जब वो भगवान को जानना चाहता है, पाना चाहता है | हम कौन हैं, कहां से आए हैं, भगवान से क्या रिश्ता नाता है इत्यादि को जानने के लिए हम ब्रह्म के पीछे जाते हैं |
मूढ़ व्यक्ति को भगवान की कोई चिंता नहीं, वह तो भगवान के होने में भी विश्वास नहीं करता | पूरा पाश्चात्य जगत इसी category में आता है | भगवान से ज्यादा science में विश्वास, भगवान को दिखा दोगे तो मान लेंगे | भारतीय परिवेश में जहां हमारी सोच अटक जाए, वहां भगवान ही याद आते हैं | भगवान तो हमेशा से निराकार हैं अन्यथा जगत स्वयं से तो पैदा हो नहीं गया |
Is God formless in Hinduism? भगवान साकार है या निराकार | Vijay Kumar Atma Jnani