चक्रव्यूह की रचना स्वयं ब्रह्म ने की थी | हम धरती को माया नगरी इसीलिए कहते है क्योंकि किसी भी मनुष्य को इस चक्रव्यूह से निकलने का रास्ता मालूम नहीं | धरती रूपी चक्रव्यूह से निकलने का एकमात्र रास्ता है अध्यात्म में उतारना | तभी हम मुक्ति के द्वार पर पहुँच सकते हैं और जन्म मरण के चक्रव्यूह से मुक्त हो सकते हैं हमेशा हमेशा के लिए |
अभिमन्यु महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में फँस क्यों मारा गया, छिपा मर्म आध्यात्मिक परिपेक्ष में