महाभारत में अभिमन्यु का चक्रव्यूह में घुसना और फिर बाहर न निकल पाना और मारे जाना पूर्णतया symbolic है, रूपक (metaphor) है | हम सभी इंसान इस माया रूपी धरती पर आ तो जाते हैं (पैदा हो जाते हैं) | लेकिन बाहर निकलने का रास्ता किसी को भी नहीं मालूम (हमें जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से मुक्ति कब मिलेगी, किसी को नहीं मालूम)|
महाभारत के अभिमन्यु episode से महर्षि वेदव्यास ने यह समझाने की कोशिश की है कि जीवन तो चलता रहेगा, मृत्यु के बाद आत्मा दूसरा शरीर ले लेगी, फिर तीसरा और जीवन क्रम आगे बढ़ता जाएगा – रुकेगा 84 लाखवी योनि पर |
अगर मनुष्य धरती के जीवन क्रम (चक्रव्यूह) से बाहर निकलना चाहता है तो भगवद गीता जैसे शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर हमेशा के लिए मुक्ति के द्वार तक खुद को ले जा सकता है (यानि 84 लाख़वी योनि) | हर मनुष्य धरती पर माया के चक्रव्यूह में फंसा है |
अभिमन्यु महाभारत युद्ध में चक्रव्यूह में फँस क्यों मारा गया, छिपा मर्म आध्यात्मिक परिपेक्ष में