अगर आप आध्यात्मिक हैं और भगवान की खोज में आगे बढ़ना चाहते हैं तो कभी ठहर कर सोचिए –
१. अर्जुन वाकई में कौन है ?
२. कृष्ण अर्जुन के सारथी क्यों ?
३. कृष्ण तो महाभारत महाकाव्य के पात्र हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं |
४. महर्षि वेदव्यास ने महाभारत महाकाव्य की रचना की क्यों ?
अगर आप अपनी मैं (अहं) को दूर रख, सत्य के मार्ग पर चलते हुए तत्व को जानने की कोशिश करेंगे तो पायेंगे –
१. अर्जुन और कोई नहीं बल्कि आप खुद हैं
२. आपके हृदय में बैठी आत्मा ही भगवान कृष्ण हैं जो सारथी के रूप में बैठी है
३. पूरा भगवद गीता का ज्ञान सिर्फ़ और सिर्फ़ आपको आध्यात्मिक मार्ग पर guidance के लिए रचा गया है
४. हृदय में बैठे कृष्ण की मदद से हर साधक इसी जन्म में मोक्ष प्राप्त कर सकता है
५. भगवद गीता का ज्ञान रचने का कारण है – जब अपने ही अधर्म का साथ देने लगें तो गीता ज्ञान आपको सामर्थ देता है उनसे धर्मयुद्ध लड़ने का | मोह काटना इतना आसान नहीं | जिनको आपने अपने हाथों से पलापोसा, आज वो ही आपके विरुद्ध हथियार उठाए खड़े हैं | और जब आप मोह काट जीवन में आगे बढ़ जाएंगे तो फिर जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति दूर नहीं |
अब आप समझ गए होंगे कि जब आत्मा ने आपका शरीर धारण किया, तो आपका शरीर ही वह दिव्य रथ है जिस पर सवार होकर कृष्ण (हमारी आत्मा) हमें आध्यात्मिक सफर में आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती है | फिर problem कहां है ? आम साधक हृदय में स्थित भगवान कृष्ण की आवाज़ तो सुन ही नहीं पाता | वह इसलिए कि हम सत्य के मार्ग पर नहीं चलते |
मैं ५ वर्ष की आयु में भगवान की खोज में निकल गया | हृदय से आती आत्मा (कृष्ण) की आवाज़ को clear सुन सकता था | जब तक मुझे ३७ वर्ष की आयु में ब्रह्म का साक्षात्कार नहीं हो गया, मुंह से एक भी झूठ नहीं निकला | साक्षी हूं, सही मार्ग पर चल कर तो देखें, आध्यात्मिक सफर कितना आसान और आनंदमय हो जाएगा |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar