रात को सोते समय बिस्तर पर लेटे हुए जब हम शवासन की मुद्रा में ध्यान/ चिंतन में उतरते हैं तो शुरु शुरू में नींद घेर लेती है और सो जाते हैं | धीरे धीरे अभ्यास के बाद हम चिंतन में उतरने लगते हैं | एक समय ऐसा भी आ जाता है जब हम सुप्तावस्था में पहुंच जाते हैं | हमें महसूस हो रहा है कि हम सो रहे हैं लेकिन कुछ तो पूरी तरह जागृत है | उस स्थिति में मैं हमेशा एक round table conference organize करता |
मैं मेन कुर्सी पर भगवान कृष्ण को बैठाता, उनके दाईं ओर महावीर को, फिर बुद्ध और बाई ओर आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण इत्यादि | फिर मैं अवचेतन/ सुषुप्तावस्था की स्थिति में कृष्ण को वह सारे प्रश्न सौंपता जिनका उत्तर मुझे काफी कोशिश के बावजूद मिल नहीं रहा था | जैन धर्म से related प्रश्न महावीर को, बौद्ध धर्म से related बुद्ध को इत्यादि |
जब सुबह उठता (लगभग 5 बजे) – हर प्रश्न का उत्तर मुझे मिल चुका होता और वह सभी प्रश्न मेरे जहन से हमेशा के लिए गायब/ पिघल जाते | इसी तरह मैं 12 वर्ष के क्रम में कर्मों की पूर्ण निर्जरा करने में कामयाब रहा |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani