परमात्मा, ब्रह्म हमेशा से दृष्टा की भांति कार्य करते हैं तो परमात्मा खुद कैसे अवतार लेंगे ? अध्यात्म में सभी कुछ symbolic है | सब कुछ छिपा हुआ है | हमें चिंतन के माध्यम से उतरकर अंदर खोज करनी होती है गहराई में | मोती कभी छिछले पानी में नहीं मिलते, गोताखोर को समुद्र की गहराईयों में जाना पड़ता है मोती चुगने |
जब अधर्म सीमा लांघ जाए, जब बर्दाश्त की सभी हदें पार हो जाएं तो भगवान कुछ ऐसा करते हैं कि हम सब मनुष्यों में एक उठ खड़ा होता है बिल्ली के गले में घंटी बांधने के लिए | कब तक हम सब चूहे बने सब कुछ सहते रहेंगे ?
आज हम संधिकाल से गुजर रहे हैं | हम पहचान नहीं पा रहे हैं लेकिन आने वाला कल्कि अवतार हम सब के बीच already स्थित है | सही वक़्त पर हम सबके सामने उजागर हो जाएगा | तब भी शायद हम उसे पहचानने से इंकार कर दें | विपरीत काले विपरीत बुद्धि |
मतलब तो कल्कि अवतार के आने से है | वह समय से आएगा और अपना काम करेगा | कलियुग का अंत निकट है शायद २०२६ ? उसके बाद भीषण रक्तपात, १४० करोड़ लोगों के मरने का निमित्त है आने वाले world war ३ में | फिर समाज की छंटाई और सतयुग की स्थापना | अधर्म के ऊपर धर्म की जीत | २०३४ तक अखंड भारत की शुरुआत |
भगवान का अवतार कब होता है? Vijay Kumar Atma Jnani