आत्मा चूंकि ब्रह्म का ही एक सूक्ष्म अंश है – आत्मज्ञान और ब्रह्मज्ञान एक ही बात को दर्शातें हैं | जब प्रलय होती है तो पूरे ब्रह्माण्ड में क्या बचता है – सिर्फ और सिर्फ सारी आत्माएं अपने पूर्ण शुद्ध रूप में | इन्हीं शुद्ध आत्माओं के गुच्छे को, जिसका आकार सिर्फ अस्थ अंगुष्ठ (आधे अंगूठे के बराबर) होता है हम ब्रह्म कहते हैं |
हमे आत्मज्ञान हुआ यानी ब्रह्मज्ञान भी तो हो गया | क्योंकि आत्मज्ञानी जब मोक्ष लेता है तो ब्रह्मलीन हो जाता है | तत्व यानि हमारे अंदर मौजूद चेतन तत्व, हमारी आत्मा – तो आत्मज्ञानी, ब्रह्मज्ञानी और तत्वज्ञानी – एक ही दशा दर्शातें हैं |
अध्यात्म की राह पर चलकर जब आत्मज्ञान होता है तो ब्रह्म का साक्षात्कार होता है – तो हम ब्रह्मज्ञानी हो गए |
What is a Pralaya in Hinduism? हिन्दू धर्म में प्रलय क्या होती है | Vijay Kumar Atma Jnani