आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें भरतवंशियों के ऐतिहासिक आत्मज्ञानियों के जीवन को खंगालना चाहिए | एक समय था जब भक्तियोग के मार्ग पर चलकर आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता था लेकिन रामकृष्ण परमहंस को इसमें कठिनाई महसूस हुई | उन्होंने अपना मार्ग बदल लिया – भक्तियोग से ज्ञान योग | ऐसा क्यों ?
आज के कलयुग में सिर्फ भक्तियोग के द्वारा आत्मज्ञान प्राप्त करना नामुमकिन है | भक्तियोग जो समर्पण मांगता है वह आज के समय में संभव ही नहीं | रामकृष्ण परमहंस काली मां के उपासक, परम भक्त थे | उन्हें पूर्ण विश्वास था कि मां एक दिन उन्हें ब्रह्म से मिलवा देंगी, साक्षात्कार करवा देंगी | ऐसा नहीं हुआ न होना था |
भगवद गीता में कृष्ण कहते हैं कि समस्त पूजाएं मुझे अर्पण करो | जो भी पूजा तुम किसी भी देवी देवता को अर्पण करते हो वो अंततः मुझ तक ही पहुंचती है | जब रामकृष्ण परमहंस को सम्पूर्ण विश्वास हो गया कि काली मां के द्वारा भगवान प्राप्त नहीं किए जा सकते तो उन्होंने अपना रुख शुद्ध ज्ञानयोग की ओर किया |
आत्मज्ञान यानी खुद का ज्ञान | भारतीय दर्शन शास्त्र जैसे वेद, उपनिषद और भगवद गीता कहते हैं हम एक आत्मा हैं न कि एक शरीर | अगर हमें आत्मज्ञान हो जाए तो हमे ब्रह्मज्ञान हो जाएगा क्योंकि हर आत्मा ब्रह्म का सूक्ष्म रूप है | गेहूं का एक दाना आत्मा, पूरी ढेरी परमात्मा (ब्रह्म) | आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें ब्रह्म को जानना होगा, प्राप्त करना होगा |
आज के समय में आत्मज्ञान, ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के लिए ज्ञानयोग कहता है अगर हम ध्यान में चिंतन के माध्यम से उतरेंगे तो कर्मों की पूर्ण निर्जरा कर एक शुद्ध आत्मा बन सकते हैं और जन्म मरण के चक्र से हमेशा के लिए निकल सकते हैं | साथ साथ हमें १२ वर्ष की ब्रह्मचर्य की तपस्या करनी होगी | महर्षि रमण का बताया self enquiry का रास्ता अति उत्तम है |
६ १/२ वर्ष की आयु में ब्रह्म की खोज में निकला, ३१ वर्ष की तपस्या और ३ अगस्त, १९९३ की सुबह १.४५ भोर में ब्रह्म ने दस्तक दी और २ १/२ घंटा मेरे साथ रहे | ब्रह्म का साक्षात्कार और जीवन का क्रम पूरा हो गया | ४.१५ पर ब्रह्म के जाने के बाद मुझे अहसास हुआ मुझे क्या प्राप्त हुआ है | यह मेरा आखिरी जीवन है – ८४ लाखवी योनि |
१९९७ से जब से भारत में इंटरनेट आया है, लगभग ६००० articles मेरी websites पर english में उपलब्ध हैं | अभी मैं सिर्फ हिंदी में videos बना रहा हूं | आने वाले समय में सिर्फ और सिर्फ भारतीयों के लिए काम करूंगा | हर सच्चे साधक को मैं 24*7*365 उपलब्ध हूं उसके serious शंका समाधान के लिए |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani