आत्मज्ञान सिर्फ लॉजिक है पर बहुत कम लोग आत्मज्ञान प्राप्त कर पाते हैं ?


यह बात सही है कि आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए logic के रास्ते पर चलना होता है | चिंतन में हमें logic के द्वारा सत्य तक पहुंचना है | सत्य हर हाल में एक ही है विकल्प कई हो सकते हैं | सत्य/ logic की राह पकड़ हमें भगवद गीता के श्लोकों में छिपे तत्व/ मर्म तक पहुंचना है | है न गजब की बात – सत्य तक पहुंचने के लिए सत्य का सहारा लेना |

 

Logic के द्वारा हजारों विकल्पों में एक सत्य को ढूंढना आसान नहीं होता – गहन चिंतन की आवश्यकता होती है | जो साधक साधना में चिंतन करना सीख जाए – उसे इसी जीवन में महर्षि रमण बनने से कोई नहीं रोक सकता | ब्रह्म का रचाया संसार है | वह नहीं चाहते लगभग 100~150 वर्षों में 1 या 2 से ज्यादा साधक आत्मज्ञानी/ तत्वज्ञानी बने |

 

What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar

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