इस धरती पर महर्षि रमण अभी तक आख़िरी संत हुए जिन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त कर मोक्ष लिया (निर्वाण नहीं) ! महर्षि रमण ने 1950 में शरीर छोड़ा और जन्म और मृत्यु के बंधन को काटकर हमेशा के लिए शुद्ध आत्मा बन गए | हम महर्षि रमण की बताई हुई किसी भी बात का अवलोकन करें – उसमें तत्व के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा |
महर्षि रमण ने शवासन की मुद्रा में लेटकर self enquiry की जो पद्धति बताई – उस technique को follow कर मैं 1993 में 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म का 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार करने में सफल हुआ | चिंतन में कैसे उतरें – उसके प्रारूप को मैं महर्षि रमण पर लिखी पुस्तकों के माध्यम से ठीक समझ पाया |
मैंने महर्षि रमण द्वारा बताई हर विधि को duplicate कर अपने जीवन में उतारा | मैं यह दृढ़ता के साथ कह सकता हूं कि ब्रह्म से साक्षात्कार करने में महर्षि रमण का मेरी जिंदगी में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani