क्या आत्मज्ञान सर्वोपरि है ?


आत्मा ने मनुष्य शरीर धारण किया है कि वह जल्दी से जल्दी अपने original शुद्ध स्वरूप में वापस आ सके | जिस दिन आत्मा 84 लाखवी योनि में वापस आ जाएगी, उस स्थिति को आत्मज्ञान प्राप्त करना कहते हैं, उससे पहले नहीं | वह stage जब मनुष्य को स्वयं का सही ज्ञान होता है कि वह शरीर नहीं बल्कि एक दिव्य चेतना (आत्मा) है |

 

आत्मज्ञान तब तक नहीं होता जब तक मनुष्य, 12 वर्ष की अखंड ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या में उतर, अपने मस्तिष्क को 100% एक्टिवेट नहीं कर लेता | Brain 100 % activate होने का मतलब है सहत्रार खुल जाना, activate हो जाना | सहस्त्रार को एक्टिवेट करने के लिए कुण्डलिनी का पूर्ण जागृत होना और सातों चक्र खुलना अनिवार्य है |

 

इस अवस्था को third eye opening भी कहते हैं | ब्रह्म ने आत्मज्ञानी होने के लिए 11 लाख योनियों का सफर यूं ही थोड़े ही दिया है ?

 

Secret of opening the Third Eye | तीसरा नेत्र खुलने का रहस्य | Vijay Kumar Atma Jnani

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