सभी धार्मिक/ आध्यात्मिक शास्त्रों का एक ही निचोड़ है – जल्दी से जल्दी आत्मज्ञान/ तत्वज्ञान प्राप्त कर मोक्ष ले लेना | आत्मज्ञान यानि आत्मा का ज्ञान | जिस दिन मनुष्य कर्मों की पूर्ण निर्जरा करके अपने असली वजूद को जान लेता है कि वह जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह में फंसा जीव नहीं बल्कि एक अजर अमर आत्मा है तो खेल हमेशा के लिए खत्म – वह अंततः अपने शुद्ध रूप में वापिस स्थापित हो जाता है |
आत्मज्ञान, ब्रह्मज्ञान, तत्वज्ञान होना एक ही बात है – शुद्ध आत्मा का वापस ब्रह्म से मिलन, वह भी हमेशा के लिए | महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण – सभी ने पहले आत्मज्ञान प्राप्त कर फिर मोक्ष लिया |
What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या अभिप्राय है? Vijay Kumar Atma Jnani