स्वयं को जानने की चेष्टा व्यर्थ – निरर्थक है – क्यों ?
1.. अगर आप भौतिक जिंदगी जीते हैं यानि अध्यात्म से कुछ लेना देना नहीं तो भी स्वयं का विश्लेषण किसलिए ? आप जो हैं सो हैं | अगर आप service करते हैं और बॉस आपकी कुछ कमियों की तरफ इशारा करता है तो उन्हें पहचान कर दूर करने की कोशिश कीजिए | तभी आप service और जीवन में उन्नति करेंगे | अगर बिजनेस में हैं तो बिजनेस को बढ़ाने के लिए अपने अंदर की कमजोरियों को दूर करने की कोशिश करें – तब बिजनेस भी बढ़ेगा और customer भी खुश रहेंगे |
2.. अगर आप भौतिकवादी व्यक्तित्व रखते हैं और धर्म में विश्वास है – मंदिर इत्यादि जाते हैं, पूजा इत्यादि करते करवाते रहते हैं तो भी काहे का self analysis ? आप जो हैं वो हैं – सभी जानते हैं | धार्मिक क्रियाएं करते वक़्त अगर आपको अपने काम में कोई कमी नजर आए तो सुधार लें | अन्यथा भारतीय लोग आपकी कमियां छुड़वाकर ही मानेंगे |
3.. अगर आप आध्यात्मिक जीवन जीना चाहते हैं – आप जानना चाहते है ब्रह्म तक कैसे पहुंचा जाए तो भी स्वयं के अवलोकन की जरूरत नहीं | क्यों ? अध्यात्म कहता है आप मूल नहीं | तत्व तो आपकी आत्मा है जिसने शरीर धारण कर रक्खा है | आध्यात्मिक सफर में हमें खुद को या आत्मा को जानने की चेष्टा नहीं करनी होती |
आत्मा क्लेश से घिरी है – तभी तो उसने शरीर धारण किया है | हमारा तो अपनी ही आत्मा के प्रति एक ही फ़र्ज़ है – कर्मों की निर्जरा करते जाएं और जिस दिन सम्पूर्ण कर्मों की निर्जरा हो जाएगी – हम निर्विकल्प समाधि की स्थिति में आ जाएंगे और फिर मोक्ष हो जाएगा |
अब कर्मों की निर्जरा कैसे की जाए – इसके लिए विभिन्न रास्ते हैं – अनगिनत शास्त्र और तत्वज्ञान प्राप्त किए आत्मज्ञानियों के विचार | यहां मैं अपना personal experience बयान कर रहा हूं | 5 वर्ष की आयु में ब्रह्म की खोज में निकला | 31 वर्ष की तपस्या के बाद 37 वर्ष की आयु में ब्रह्म से 2 1/2 घंटे का साक्षात्कार |
अंततः जान लीजिए – मुख्यतः 2 बातें हैं जिनका हमें पालन करना है –
1.. हमें 12 वर्ष की ध्यान की तपस्या में उतरना होगा – वहीं ध्यान जो जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर ने 12 वर्ष एक टीले के ऊपर खड़े होकर किया था और गौतम बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे | ध्यान कैसे किया जाता है यह नीचे दिए वीडियो में विस्तार से समझाया है | अगर समझ गए तो आपको स्वामी विवेकानंद बनने से कोई नहीं रोक सकता |
2.. हमें 12 वर्ष का अखंड ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना होगा | एक भी त्रुटि – ब्रह्मचर्य टूट जाएगा | फिर दोबारा से 12 वर्ष लगेंगे सो ऋषि विश्वामित्र वाली गलती नहीं करनी – मेनका दिखी नहीं कि भटक गए | ब्रह्मचर्य से हमारा तात्पर्य क्या है और कैसे पालन किया जाता है – उस पर ब्रह्मचर्य का वीडियो बारीकी से देखें |
मेरा मानना नहीं हैं – मैं जानता हूं अगर सच्चा साधक दोनों विडियोज के मर्म को आत्मसात कर ले तो इसी जन्म में पहले स्वामी विवेकानंद और फिर रामकृष्ण परमहंस की स्थिति में पहुंच जाएगा – यानी जन्म मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त |
सभी बातों का निचोड़ है – हमें ध्यान और ब्रह्मचर्य का पालन करके आत्मा में निहित क्लेशों को खत्म करना है | और हमारी support में भगवान कृष्ण की भगवद गीता के 700 श्लोक और 11 principal उपनिषद गीताप्रेस गोरखपुर में उपलब्ध हैं | ध्यान रहे हमें स्वयं का अन्वेषण न करके अपने अंदर आते हजारों विचारों के उत्तर ढूंढने और उन्हें जड़ से खत्म करना हैं – तभी हम मर्म तक पहुंचेंगे |
Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani