आत्मज्ञान प्राप्त करना, कैवल्यज्ञान प्राप्त करना, पूर्ण कुण्डलिनी जागरण, सहस्त्रार का खुलना, ब्रह्मज्ञानी होना, 84 लाखवी योनि में स्थापित होना, तत्वज्ञान प्राप्त करना, तीसरा नेत्र खुलना, छट्ठी ज्ञानेंद्री जागृत होना – सभी एक बात की ओर इशारा करते हैं कि आप ब्रह्म से साक्षात्कार बस करने ही वाले हैं |
ऊपर लिखी सभी बातों का मतलब है कर्मों की पूर्ण निर्जरा हो चुकी है और आप एक शुद्ध आत्मा बन चुके हैं | आत्मा के अपने शुद्ध रूप में वापस आने के कारण अब साधक के लिए धरती पर जीवन में और कुछ प्राप्त करना शेष नहीं रहता | भौतिक जीवन का अंत समीप है | जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए छुटकारा |
What comes after Self Realization? आत्मसाक्षात्कार के बाद आत्मा कहां जाती है | Vijay Kumar