ब्रह्म से साक्षात्कार करने के लिए गुरु की आवश्यकता बिल्कुल भी नही | जिस साधक ने गुरु बना लिया, वह इस जन्म में ज्यादा आध्यात्मिक उन्नति नहीं कर सकता | क्यों ? साधक के अंदर हमेशा यह भावना बनी रहेगी कि गुरु को मेरे से ज्यादा ज्ञान है | इस भ्रांति के कारण हम यथोचित ध्यान/चिंतन नहीं कर पाएंगे |
अगर हमें यह अहसास हमेशा रहेगा कि महावीर बहुत ज्यादा ज्ञानी हैं और उस level तक पहुंचना लगभग असम्भव है तो हम बहुत बड़ी गलती करते हैं क्योंकि हम सिर्फ महावीर ही नहीं उनसे आगे बढ़ने की क्षमता रखते हैं | ऐसा हर साधक के साथ है | मेरा दृढ़ विश्वास है अध्यात्म की राह में हर साधक महावीर क्या, उनसे आगे निकलने की क्षमता रखता है |
अध्यात्म की राह में कोई सीमा नहीं होती | मैंने जब आध्यात्मिक जगत में पैर रखा, 5 वर्ष की आयु में, तो अन्दर से आवाज़ आई, कोई सीमा मत बांध लेना | मैंने भी तभी निश्चय किया कि महावीर, गौतम, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण के बारे में पढूंगा जरूर लेकिन उनकी कही बातों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करूंगा | क्यों ?
इन सब ब्रह्म से साक्षात्कार किए महापुरुषों ने खुद ज्यादा नहीं लिखा | जिन लेखकों ने लिखा उनका ज्ञान बेहद limited था | उनकी कही बात सोलह आने गलत भी हो सकती है | फिर क्या था | मैंने हर लेखक द्वारा लिखे साहित्य को सच के तराजू में तोला और जो खरा दिखा उतना ग्रहण कर लिया | अंततः मैं सिर्फ और सिर्फ अंदर छिपे तत्व तक पहुंच गया |
सही मायने में गुरु कोई तत्वज्ञानी नहीं बल्कि उनके द्वारा प्रेषित ज्ञान है जो उनके जाने के बाद भी पुस्तकों में मिल जाता है | मैंने जब से आध्यात्मिक जगत में पैर रखा, मैंने हर गुरु द्वारा प्रेषित ज्ञान को खोज लिया और अन्दर छिपे तत्व तक पहुंच गया | मुझे फिजिकल रूप में महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण से मिलने की जरूरत महसूस ही नहीं हुई |
मेरे लिए सभी मानव भगवान जैसे महावीर, महर्षि रमण इत्यादि आज भी मौजूद हैं लेकिन उनके द्वारा या उनके ऊपर लिखे साहित्य में | आखिरकार सही तत्वज्ञान तो उन्हीं से प्राप्त होगा जो खुद तत्वज्ञानी होने के साथ साथ मोक्ष भी ले गए | आज के so-called Guru जिन्हें अध्यात्म का ABCD नहीं मालूम, वे क्या ज्ञान देंगे |
आज का आध्यात्मिक जगत सच्चे गुरुओं से बैरंग क्यों है ? बिना आत्मज्ञान प्राप्त किए सभी अधपका ज्ञान बांचने में लगे रहते हैं | ऐसा गुरु बनाकर आप क्या प्राप्त करेंगे ? सच्चा ज्ञान सिर्फ चिंतन के द्वारा प्राप्त होगा | चिंतन के द्वारा हमें अपने अंदर आते प्रश्नों को जड़ से खत्म करना है | तभी कर्मों की संपूर्ण निर्जरा संभव है |
ब्रह्म साक्षात्कार की राह पर हमें जो दो मंत्र चाहिएं, वह मैंने ब्रह्मचर्य और ध्यान के वीडियो में दे दिए हैं | पूर्व समय में इन मंत्रों की कीमत 700 करोड़ थी और ऋषिवर सिर्फ deserving राजा को देते थे | जो समझ जाए उसके लिए कीमत उतनी ही है, फर्क इतना कि आज free में मिल रहे हैं |
What was the role of Arjuna in Mahabharata? आज का अर्जुन कौन आध्यात्मिक परिवेश में | Vijay Kumar