भगवान को जान लेना यानि जीवन के आखिरी छोर पर पहुंच जाना | ब्रह्म के साथ साक्षात्कार यानि जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए छुटकारा | हम वापस एक शुद्ध आत्मा बन जाते हैं और दोबारा शरीर धारण करने की जरूरत नहीं रह जाती |
भगवान को जानने के लिए ब्रह्म ने खुद ११ लाख योनियां मनुष्य रूप में तय की हैं | अब यह हमारे ऊपर है हम किस जन्म में यह सफर पूरा कर ८४ लाखवी योनि में पहुंच जाएं | ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद हम स्वयं को हमेशा के लिए ब्रह्म में विलीन कर सकते हैं |
देखा जाए तो जीवन का कारण भी एक ही है, जल्द से जल्द ब्रह्म में लीन हो जाना | यह मनुष्य योनि में ही, जो धरती पर सबसे उच्च level पर स्थापित है, संभव हो पाता है | हम जीवन में कोई भी लक्ष्य निर्धारित कर लें लेकिन जीवन का मूल उद्देश्य ब्रह्म को प्राप्त करना है |
यह संभव हो पाता है जब हम चिंतन के माध्यम से ध्यान में उतरते हैं और अध्यात्म की सीढ़ी पर धीरे धीरे आगे बढ़ते हैं | भौतिक जीवन में हमारा goal कोई भी हो लेकिन अंदरूनी जीवन का गोल भगवद प्राप्ति ही है | याद रहे यह शरीर आत्मा ने धारण किया है, हमने आत्मा को नहीं | इसी कारण जीवन का मुख्य लक्ष्य हमेशा से आत्मा का ही, शरीर यानि मनुष्य का नहीं |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani