आत्मा और जीव में क्या अंतर है – दोनों की उत्पत्ति कैसे होती है ?


आत्माएं अपने ब्रह्मांडीय सफर में अशुद्धियां ग्रहण कर लेती हैं | जब धरती जीवन ग्रहण करने योग्य हो जाती है तो आत्माएं एक के बाद एक शरीर धारण करना शुरू कर देती हैं |

 

आत्माएं धरती पर जो शरीर धारण करती हैं – चाहे वह कीट पतंगे का हो, पेड़ पौधों का हो, या पशु पक्षियों का या मनुष्य का, इस शरीरधारी चेतन तत्व को हम जीव कहते हैं | धरती पर कोई भी चीज जो जीवित है वह जीव है |

 

यही जीव जब मनुष्य योनि में होता है तो अध्यात्म का सफर कर अंततः मोक्ष प्राप्त कर लेता है | आत्मा ने जो मनुष्य शरीर धारण किया था अब उसकी जरूरत नहीं | पूर्ण शुद्धि प्राप्त आत्मा को अब शरीर धारण करने में (जीव में) कोई प्रयोजन नहीं |

 

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