आत्मा का लक्ष्य क्या होता है ?


ब्रह्मांडीय सफर में जब आत्मा परमात्मा (ब्रह्म) के घर से निकलती है तो अशुद्धियां उसे घेर लेती हैं | आकाशीय सफर में जैसे ही आत्मा को पृथ्वी जैसा ग्रह मिलता है जहां वह शरीर धारण कर सके तो आत्मा का ब्रह्मांडीय सफर हमेशा के लिए अस्त हो जाता है | हमेशा के लिए – क्योंकि आत्मा सूर्य के चंगुल से तभी निकल पायेगी जब वह 84 लाखवी योनि में न पहुंच जाए यानि मुक्त हो जाए |

 

तो आत्मा का हमेशा से लक्ष्य होता है अतिशीघ्र ही 84 लाख्वी योनि में स्थापित हो जाए |

 

84 लाख योनियों में 73 लाख योनियां अमीबा, कीट पतंगों, पेड़ पौधों और पशु पक्षियों की योनि में गुजर जाते हैं | बची 11 लाख मनुष्य योनियों में आत्मा चाहती है मनुष्य जल्द से जल्द अध्यात्म की राह पकड़ तत्वज्ञानी हो जाए जिससे आत्मा को जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से छुटकारा मिल सके | यही मोक्ष की अवस्था भी है |

 

Are there 8.4 million species on Earth? चौरासी लाख योनियों का सच | Vijay Kumar Atma Jnani

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