मैं एक मनुष्य अपने लिए बाज़ार से एक वस्त्र लाया, पहना – क्या मैं उस वस्त्र को देख पा रहा हूं ? अरे जो वस्त्र मैंने खरीदा और पहना – में उसे देख ना पाऊं, भला ऐसा हो सकता है क्या ?
आत्मा जिसने यह शरीर धारण किया और जो अपने आप में दिव्य शक्ति है, ब्रह्म का एक अंश – वह हमारी हर हरकत, कर्म पर निगाह रखे है | लेकिन हर समय दृष्टा की भांति काम करती है, मनुष्य योनि में छेड़छाड़ नहीं |
ब्रह्म ने आत्मा द्वारा धारित शरीर (जीव/ मनुष्य) को free will और विवेक दिया है जिसके सहारे वह अपना पूर्ण जीवन आराम से जी/ काट सकता है | मनुष्य day 1 से स्वतंत्र है अपना जीवन अपने मुताबिक जीने के लिए |
आत्माएं भले ही सूर्य के गर्भ में बैठी हों लेकिन हर गतिविधि पर नजर रहती है – हर पल, हर second की |
Where does Soul live in Human Body? शरीर में आत्मा कहाँ निवास करती है? Vijay Kumar Atma Jnani