आत्मा, ब्रह्म का अंश, एक दिव्य शक्ति और बुरी ? आत्माएं शुद्ध या अशुद्ध तो हो सकती हैं – लेकिन बुरी, कभी नहीं | क्यों ?
आत्माएं जब से ब्रह्म के घर से निकली हैं अशुद्ध हो गई हैं | ब्रह्मांडीय सफर में अनगिनत अशुद्धियां अपने अंदर ले लीं हैं | इन्हीं अशुद्धियां से पीछा छुड़ाने के लिए आत्माएं धरती पर 84 लाख योनियों के फेर से गुजरती हैं |
मनुष्य योनि में आते ही आत्मा एक के बाद एक शरीर बदलना शुरू कर देती है | मनुष्य योनि में पूर्ण कंट्रोल मनुष्य के हाथ में है | Will power और विवेक का इस्तेमाल कर मनुष्य आत्मा की journey को धीरे धीरे आगे बढ़ाता है |
मनुष्य का जीवन धर्म और कर्म द्वारा निर्देशित है | जैसा करोगे वैसा भरोगे | अगर मनुष्य जीवन में पापकर्म में लगा रहे तो इसमें आत्मा की क्या गलती ? पाप और पुण्य दोनों मनुष्य के हाथ में हैं |
11 लाख योनियों के लंबे फेर में मनुष्य कभी पुण्यकर्म और कभी पापकर्म करता हुआ आगे बढ़ता है | बुरा मनुष्य हो सकता है आत्मा नहीं | जब मनुष्य मोक्ष पा लेगा, आत्मा वापस ब्रह्मलीन हो जाएगी |
पाप और पुण्य में क्या अंतर होता है? पाप और पुण्य क्या है? Vijay Kumar Atma Jnani