आध्यात्मिक गतिविधियों से जुड़ने की सही उम्र क्या है ?


अगर बारीकी से सभी तथ्यों का अवलोकन करें तो हम पाएंगे कि अध्यात्म से साधक इस जन्म के कर्मों से नहीं जुड़ता ? मृत्यु के समय जो पिछले जन्म का karmic balance था, मूलतः वह decide करता है हम इस जन्म में अपना आध्यात्मिक सफर कब शुरू करेंगे, करेंगे भी या नहीं |

 

सोचिए अगर भिखारी पैदा हुए तो हो सकता है पूरा जन्म रोटीरोजी के इंतजाम में ही गुजर जाए | कहां पैदा हुए, किस के घर में पैदा हुए महत्व रखता है | पिछले जन्म का KI (karmic index) अगर कहता है हम जल्द ही शुरू करेंगे, तो मेरी तरह 5 वर्ष की आयु से भी शुरुआत हो सकती है |

 

मैं 5 वर्ष की आयु से भगवान के पीछे यूं ही नहीं चला, बहुत बड़ा कारण है जो वक़्त आने पर बताऊंगा | ब्रह्म ने 5 वर्ष की आयु में सब बताया था | ब्रह्म से पांच वर्ष की आयु में हुई मुलाकात ने मेरी जिंदगी का रुख ही बदल दिया | सब कुछ बताऊंगा लेकिन सही समय आने पर – जब ब्रह्म कहेंगे |

 

यहां मैं यह कहना चाहूंगा कि अगर संभव हो और भगवान में 100% आस्था हो, तो सफ़र 5 ~ 6 वर्ष की आयु तक शुरू कर देना चाहिए | अन्यथा जब 20 वर्ष, 30 वर्ष, 50 वर्ष की तपस्या के बाद progress minimal (कम) होगी तो फल की चिंता अवश्य होगी, हम यह भूल जाएंगे कि 11 लाख योनियों का लंबा अंतराल है, योनि दर योनि आगे बढ़ना है | और यह चिंता हमें खा जाएगी कि इस जन्म में तो कुछ मिला नहीं |

 

अगले जन्म में इस बात की कोई guarantee नहीं कि हम अध्यात्म में कदम रख पाएंगे या नहीं | क्या हिटलर जैसा इंसान अगले जन्म में मनुष्य योनि प्राप्त कर पाएगा (लाखों यहूदियों के क़त्ल के बाद) ?

 

मैं जब छोटा था (7 साल का) तो दादाजी से तर्क किया, दादाजी सच सच बताना – पप्पू के पास तो एक ही जीवन है न, अगर मैंने कुछ करना है तो इसी जिंदगी में क्योंकि अगली जिंदगी तो मेरी आत्मा की होगी, पता नहीं मेरे मरने के बाद अगला शरीर आत्मा किस घर में ले | दादाजी कुछ देर मुझे देखते रहे, फिर बोले तू जो कह रहा है वह बिल्कुल सच है | (मेरा घर का नाम पप्पू, आज वाला पप्पू नहीं)

 

फिर क्या था, जीवन का goal final – अगर भगवान तक पहुंचना है तो इसी जन्म में सब कुछ करना होगा | और फिर मैं इतवार के दिन खेतों की तरफ निकल गया कृष्ण से मिलने, गाय भैसों के बीच मुरली बजाता मिल जाएगा | बुआ ने कहा था तेरे प्रश्नों के उत्तर कृष्ण के पास हैं |

 

कृष्ण तो क्या ही मिलना था | 2 1/2 घंटे बाद रोता धोता वापस, आंखें लाल | मां ने पूछा, कहां गया था, आंखें लाल क्यों हैं, मैंने कहा कृष्ण को ढूंढने, वो तो मिला नहीं, किसी ने पहले बताया नहीं वो बहुत पहले मर चुका है, इसलिए रोना आ रहा है | मुझे सबके ऊपर घर में बहुत ही गुस्सा आ रहा है | चले पप्पू का बेवकूफ बनाने |

 

मनु का बनाया वानप्रस्थ और संन्यास आश्रम का concept गलत नहीं, वह आम इंसान के लिए है, serious साधक के लिए नहीं | Serious साधक को जीवन में जितना जल्दी हो सके अध्यात्म का सफर शुरू कर देना चाहिए |

 

Right Age to start a Spiritual Journey | आध्यात्मिक ज्ञान लेने की सही उम्र | Vijay Kumar Atma Jnani

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