जन्म-मृत्यु का चक्र कौन समाप्त कर सकता है ?


जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए निकलने के लिए, महर्षि रमण के लेवल पर पहुंचने के लिए, मोक्ष लेने के लिए एक इंसान को अध्यात्म में उतरना होगा | अध्यात्म यानी भगवान से योग करने की चेष्टा, ब्रह्मलीन होने का प्रयास |

 

कोई भी इंसान, छोटा हो या बड़ा, अमीर या गरीब, जीवन के किसी भी phase में हो (5 वर्ष की आयु से 90 तक), ब्रह्मचारी हो या गृहस्थ – वह सक्षम है इस यात्रा पर चलने के लिए |

 

अगर ज्यादा आयु में सफर शुरू करेंगे तो जरूरी तो नहीं आखिरी छोर तक इसी जीवन में पहुंच जाएं लेकिन संभव है अगले जीवन में यह सफर पूरा कर लें | जो लोग 60 की आयु के बाद यह सोच कर अध्यात्म में नहीं उतरते कि देर हो गई वे भयंकर भूल करते हैं |

 

हम एक आत्मा हैं अशुद्धियों से पूर्णतया युक्त | इन्हीं अशुद्धियों को दूर करने के लिए हमारी आत्मा 11 लाख योनियों के भंवरजाल से गुजरती है, तरह तरह के शरीर धारण करती है – कभी ब्राह्मण के घर में तो कभी मजदूर के |

 

पूरा आध्यात्मिक जगत और संसार कर्म theory पर आधारित है | जैसा कर्म करोगे वैसा कर्मफल मिलेगा | अध्यात्म की एक खास बात है – अगर हम सही तरीके से 12 साल की ब्रह्मचर्य और ध्यान की अखंड तपस्या पूरी कर लें तो इसी जन्म में मोक्ष मिल जाएगा |

 

कठिन तो है, बेहद कठिन लेकिन असंभव नहीं | 12 वर्ष की तपस्या की डिटेल वीडियो में हैं | 12 वर्ष की तपस्या महावीर की टीले के ऊपर खड़े होकर, बुद्ध की बोधि वृक्ष के नीचे और राम का 14 साल का वनवास – क्या कहते हैं ??

 

12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani

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