बाहर भटकने से अच्छा भीतर भटकने का अर्थ क्या है ?


बाहर भटकने से क्या मिलेगा – मंदिर या तीर्थ, भजन कीर्तन, सत्संग में जाने से भगवान नहीं मिलते | किसी भी ब्राह्म स्वरूप में भगवान नहीं हैं | ब्रह्म तो अंश स्वरूप (आत्मा के रूप में) अंदर हृदय में विद्यमान हैं | अगर हमें ब्रह्म प्राप्ति करनी है तो अंदर के सफर यानि अध्यात्म में उतरना ही पड़ेगा | अध्यात्म यानि ध्यान (चिंतन) में उतरना |

 

अगर हम सत्य का मार्ग पकड़ लें तो संभव है हृदय से आती आवाज़ सुन सकें | हमें एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए – भौतिक जीवन बना है रोटी रोज़ी कमाने के लिए और अंदरूनी सफर ब्रह्म तक पहुंचने के लिए | दोनों ही सफर जरूरी हैं |

 

Listen to Inner Voice coming from within our Heart | हृदय से आती आवाज को सुनना सीखें | Vijay Kumar

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.