मनुष्य जीवन में कभी ख्याल आए प्रभु को जानने का, स्वयं को जानने का कि वाकई क्या हम एक आत्मा हैं या और कोई गहरा प्रश्न जैसे जीवन चक्र से मुक्ति कैसे मिलेगी – तो हमे अध्यात्म में उतरना पड़ेगा |
अध्यात्म में उतरे बिना तत्वज्ञानी नहीं बन सकते – तो जीवन के आखिरी छोर 84 लाखवी योनि तक पहुंचेंगे कैसे ? मनुष्य रूप में 11 लाख योनियों का लंबा सफर है | अगर इस सफर को समाप्त कर परमात्मा मिलन कि इच्छा रखते हैं तो ही अध्यात्म में उतरना होगा – अन्यथा नहीं |
अध्यात्म यानि भगवद गीता और 11 principal उपनिषदों के मर्म को जानना और उनके अनुसार आचरण करना |
अध्यात्म और भेड़ चाल | Vijay Kumar Atma Jnani