हम मनुष्य न अपनी मर्ज़ी से आए न मनुष्य अपनी इच्छा से बने | जब पैदा हो ही गए तो एक दिन बुजुर्गों से मालूम पड़ा कि यह मनुष्य शरीर आत्मा ने धारण किया है और जब तक आत्मा शुद्ध नहीं हो जाती वह बार बार मनुष्य शरीर धारण करती रहेगी और मनुष्य रूप में 11 लाख योनियां हैं |
किसी ने अध्यात्म की राह पकड़ी और चिंतन किया तो पाया – 11 लाख योनियों का सफर cut short हो सकता है अगर हम successfully 12 वर्ष की अखंड तपस्या कर सकें जैसी महावीर और बुद्ध ने की थी | और हो गया आध्यात्मिक सफर शुरू |
आम आदमी सोचता है पूरी 11 लाख योनियां हैं, कुछ मजे ही ले लूं | मैंने तो कुछ किया नहीं, प्रभु ने ही इतनी सुंदर सुंदर नारियां बनाई हैं, मैं तो गृहस्थी बनाऊंगा और जीवन के मजे लूंगा | और ये आम इंसान आत्मा की इच्छा को आग में झोंक अपनी खुद की इच्छाएं पूरी करने में तल्लीन हो जाता है |
बस यही फ़र्क है एक आध्यात्मिक और आम इंसान में !
1.1 million manifestations in Human form? मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर | Vijay Kumar