अध्यात्म एक अंदरुनी सफर है जो सिर्फ चिंतन के माध्यम से किया जा सकता है | 800 करोड़ लोगों में 10 लोग नहीं जो चिंतन में उतर पाते हैं – ऐसा क्या ? चिंतन में उतरकर 12 वर्ष की अखंड ध्यान और ब्रह्मचर्य की तपस्या अगर कोई पूरी कर ले तो वह महर्षि रमण के लेवल पर पहुंचकर जन्म मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा |
महर्षि रमण को गए 74 वर्ष बीत गए, दूसरा, तीसरा महर्षि रमण कहां है ? आज के समय में लोग धार्मिक कर्मकांडो में लगे रहते हैं और पूछो तो कहेंगे हम आध्यात्मिक हैं | जब तक साधक में स्वामी विवेकानंद वाली दृढ़ता नहीं आएगी, वह रामकृष्ण परमहंस कैसे बनेगा ?
आध्यात्मिक होकर पूरा सफर पार कर लेने का मतलब है इसी जन्म में रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बन जाना |
12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani