भगवान ब्रह्म सिर्फ और सिर्फ उन्हीं साधकों को अपनी day-to-day counseling देने के लिए चुनता है जिन पर उसे भरोसा होता है कि वे अपना आध्यात्मिक सफर पूरा कर रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण बनने में कामयाब होंगे | ऐसा क्यों ? ऐसा सिर्फ इसलिए होता है क्योंकि ब्रह्म ने आध्यात्मिक सफर पूरा करने की छूट ८०० करोड़ लोगों में और वह भी १०० ~ १५० वर्षों में सिर्फ १ ~ २ साधकों को दे रखी है | १८८६ में रामकृष्ण परमहंस चले गए और १९५० में महर्षि रमण |
अगला no कल्कि अवतार का है | पहले आने तो दो, जाने की बात बाद में करेंगे | भक्तियोग में लगे साधक अगर यह गलतफहमी पाले हुए हैं कि वह भगवान के नजदीक है तो उन्हें रामकृष्ण परमहंस बनने से रोका किसने है ? ब्रह्म के नजदीक सिर्फ और सिर्फ आध्यात्मिक साधक होता है, धार्मिक नहीं | ब्रह्म को पूजापाठ, क्रियाकलापों से क्या लेना देना | ब्रह्म के लिए भजन कीर्तन किसी काम के |
ब्रह्म को अध्यात्म जहां सिर्फ ध्यान और चिंतन का सहारा लिया जाता है, अत्यंत प्रिय है | इस दुनिया में कितने इंसान होंगे जो अध्यात्म के रास्ते पर चल रहे हैं ? मुझे ६८ वर्ष के जीवन में अभी तक २ इंसान मिले जो अध्यात्म का मतलब समझते हैं | वह भी पूरी दुनिया में US समेत | पहले मतलब तो समझें, इस रास्ते पर चलेंगे तो बाद में | पूरी दुनिया किताबी ज्ञान के पीछे भाग रही है | इन्हे तो भगवान ही बचाए |
मैं ५ वर्ष की आयु से भगवान के पीछे हूं | एक दिन ऐसा नहीं गुजरा जब खुद ब्रह्म से बात न हुई हो | कभी ब्रह्म खुद बात करते हैं, कभी आत्मा के द्वारा करते हैं लेकिन बात हो जाती है | ब्रह्म से साक्षात्कार के बाद अब मैं ब्रह्म से 24*7*365 connected हूं |
What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani