मानव जन्म लेता है – सशरीर से या आत्मा से ?


मानव अपने आप तो पैदा हो नहीं जाता | सूर्य के गर्भ में बैठी आत्मा को जब धरती पर मैचिंग parents मिल जाते हैं तो शिशु मां के गर्भ में आ जाता है लेकिन उसका दिल धड़कना उस समय शुरू होता है जब आत्मा remote control से हृदयगति चालू कर देती है |

 

आत्मा अपने 84 लाख योनियों के जीवन में max. 11 लाख मनुष्य योनियों के फेर से गुजरती है | जीवन तो आत्मा लेती है लेकिन जीव के आने के बाद जीवन को आगे धर्म और कर्म बढ़ाते हैं | आत्मा दृष्टा की भांति सब देखती रहती है |

 

कर्म जीवन का मूल सिद्धांत है जिसके सहारे जीवन की गति आगे बढ़ती है | जैसे ही कर्मों की पूर्ण निर्जरा हुई, आत्मा अपना शुद्ध स्वरूप पाकर, जीवन चक्र यानि जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो जाती है |

 

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