अपने आध्यात्मिक अनुभव किसी को नहीं बताने चाहिए क्या यह सत्य है ?


अपने आध्यात्मिक जीवन के सत्य जिस किसी को भी आप बताएंगे – वह आपको मूर्ख से ज्यादा कुछ नहीं समझेगा | जिस इंसान का लक्ष्य अध्यात्म नहीं – उसे कुछ बताकर आप अमूल्य समय नष्ट कर रहे हैं | भगवद गीता में कृष्ण कहते भी हैं कि अयोग्य पात्र को कभी भी गीता ज्ञान नहीं बांटिए |

 

आज के समय में ज्यादातर लोग धार्मिक कर्मकांडो/ रीतिरिवाज़ों में व्यस्त हैं और पूछों तो कहेंगे हम आध्यात्मिक हैं | जिन्हें अध्यात्म शब्द की समझ नहीं/ मतलब नहीं मालूम – उन्हें अपने आध्यात्मिक अनुभव बताकर आप क्या प्राप्त कर लेंगे ? आध्यात्मिक चर्चा हमेशा ऐसे साधकों से करनी चाहिए जिन्हें अध्यात्म में गूढ़ रुचि हो |

 

What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani

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