आध्यात्मिक ज्ञान यानी शास्त्रों में निहित ज्ञान को समझने की कोशिश करना की आवश्यकता तब पड़ती है जब हम इस जीवन में स्वामी विवेकानंद की राह पर चलना चाहें | शास्त्र कहते हैं हम वास्तव में एक आत्मा हैं जिसने यह मनुष्य शरीर धारण किया है अपनी शुद्धि के लिए | इसके लिए ब्रह्म ने लगभग १ करोड़ की अवधि निश्चित की है ११ लाख मनुष्य योनियों के रूप में | यह हम पर छोड़ दिया कि हम अध्यात्म इस जीवन में अपना लें या अगले जीवन के लिए छोड़ दें |
1.1 million manifestations in Human form? मनुष्य रूप में ११ लाख योनियों का सफर | Vijay Kumar