अध्यात्म के रास्ते पर कौन चलता है, वे साधक जो एक ऐसी संस्कृति से आए हों जो धर्म पर आधारित है जैसे भरतवंशी | अध्यात्म के मूल से क्या पाश्चात्य जगत परिचित है ? बिल्कुल नहीं, वे तो आत्मा होती है, इसे भी नकारते हैं |
पूरे विश्व में, धरती माता के ऊपर सिर्फ और सिर्फ भारत ही ऐसा देश है जो अध्यात्म को सिर्फ समझता ही नहीं, बल्कि महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण जैसे प्रतापी ऋषि दिए जिन्होंने दिव्य ज्ञान प्राप्त कर खुद को जन्म और मृत्यु के चक्र से हमेशा के लिए मुक्त किया और मोक्षगामी हो गए |
पाश्चात्य जगत धर्म और संस्कृति की महिमा को क्या समझेगा, उन्हें तो बस भारत की अखंडता को खंडित करना आता है | लुटेरे पैदा हुए, लूट के माल के सहारे अब तक जीते आए हैं और अब आने वाले संधिकाल के पश्चात वापस गर्त में समा जाएंगे | धर्म और संस्कृति पर आधारित भारतीय परंपरा अखंडित थी, है और हमेशा रहेगी |
धरती पर कोई भी साधक अगर आध्यात्मिक रुचि रखता है तो उसे भारतीय दर्शन शास्त्रों भगवद गीता और उपनिषदों में उलझना ही होगा, कोई छुटकारा नहीं |
धर्म वो मूल है जिस पर दुनिया का हर जीव टिका है | जब हम पैदा होते हैं तो धर्म साथ साथ चलता है | धर्म है तो संस्कृति पैदा होती है | इस्लाम में धर्म की कोई खास महत्ता नहीं | नतीजा ! उनकी विध्वंसक tendencies, उनका उग्रवादी चरित्र | जो सच्चा धार्मिक है वो सबसे प्रेम करता है, विश्वासघात नहीं |
What is the real meaning of spirituality? अध्यात्म का वास्तविक अर्थ क्या है ? Vijay Kumar Atma Jnani