तत्वज्ञानी बनने के बाद कुछ और ज्ञान पाने की आवश्यकता नहीं रहती | क्यों ? तत्वज्ञानी जीवन के अंतिम छोर तक पहुंच कर जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से हमेशा के लिए मुक्त हो जाता है | जब आत्मा शुद्ध रूप में आ जाती है तो उसे अगला शरीर धारण करने की आवश्यकता ही नहीं रहती |
तत्वज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें अध्यात्म की राह पर चलना होगा | ध्यान में चिंतन के मार्ग से उतरकर अपने सम्पूर्ण कर्मों की निर्जरा करनी होगी | साथ साथ ब्रह्मचर्य का १२ वर्ष का पालन | शनै शनै आपकी कुण्डलिनी पूरी जागृत हो जाएगी और आप ८४ लाखवी योनि में स्थापित हो जाएंगे |
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