सिर्फ़ किताबों को पढ़ कर आध्यात्म को जाना जा सकता है क्या ?


हम सभी ने पढ़ा –

अर्जुन का बेटा अभिमन्यु महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में फंस कर कौरवों द्वारा मारा गया | हुआ यों कि जब अर्जुन अपनी पत्नी सुभद्रा को चक्रव्यूह से बाहर निकलने की विधि समझा रहे थे तो सुभद्रा को नींद आ गई | अभिमन्यु उस समय मां के गर्भ में था | चक्रव्यूह में कैसे घुसते हैं वह तो अभिमन्यु ने सुन लिया लेकिन बाहर निकलने की विद्या उसे नहीं मिल सकी और इस कारण युद्ध में चक्रव्यूह में फंस मारा गया |

 

आध्यात्मिक शास्त्रों में ज्यादातर बातें सूचक (symbolic) होती हैं अंदर छिपे किसी गहरे मर्म को समझाने के लिए |

 

महर्षि वेदव्यास अभिमन्यु के एपिसोड के द्वारा कहना क्या चाहते हैं –

हम सभी इस धरती रूपी मायानगरी में आ तो जाते हैं (अपनी इच्छा से नहीं), यानी पैदा तो हो जाते हैं लेकिन मुक्ति कब मिलेगी यह किसी को नहीं मालूम | इस धरती रूपी चक्रव्यूह में घुस तो जाते हैं (जन्म स्वयं हो जाता है) लेकिन बाहर कब निकलेंगे, मोक्ष कब होगा यानी जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से पीछा कब छूटेगा, किसी को खबर नहीं |

 

यही कारण है सिर्फ किताबी ज्ञान के माध्यम से अध्यात्म की गहराइयों को नहीं समझा जा सकता | अंदर छिपे मर्म को समझने के लिए चिंतन में उतरना ही होगा |

 

हम इसे और examples से समझेंगे –

किताब में लिखा है वीर सावरकर महानतम स्वतंत्रता सेनानी थे | इसके क्या मायने हुए | Students इस लाइन को अलग अलग तरह से interpret करेंगे | लेकिन अध्यात्म कहता है सत्य पर based इसका सही interpretation एक ही हो सकता है दो भी नहीं | अगर हम सही interpretation तक पहुंचना चाहते हैं तो हमें चिंतन करना होगा |

 

और चिंतन में ज्ञात होगा कि ब्रिटिश ने इस स्वतंत्रता सेनानी पर कितने और कैसे कैसे अमानवीय अत्याचार किए फिर भी वह टूटा नहीं | काले पानी की सज़ा हुई – वहां से sharks से infested समुद्र (हजारों किलोमीटर) को कैसे तैरकर पार किया और वापस भारत लौटा | English channel तैरकर फ्रांस समुद्र तट पर पहुंचा | वहां फ्रेंच पुलिस द्वारा पकड़ा गया क्योंकि देश के कुछ गद्दारों ने पहले से खबर दे दी थी |

 

जब हम चिंतन में उतरेंगे तो वीर सावरकर पर न जाने क्या क्या पढ़ने को मिलेगा | अगर पुस्तकों में तथ्यों को तोड़मरोड़कर पेश किया गया हो तब क्या ? उस लिखे material पर जब हम बार बार चिंतन करेंगे तो पाएंगे उससे बड़ा स्वतंत्र सेनानी कोई नहीं हुआ | तथ्य साबित करेंगे वह वाकई महानतम स्वतंत्रता सेनानी था |

 

इसी तरह सिर्फ पढ़ लेने से कि महावीर जैन धर्म के 24th तीर्थंकर थे क्या साबित होता है | कुछ कह सकते हैं मैं क्यों मानूं | लेकिन जब हम चिंतन के माध्यम से तथ्यों में उतरेंगे तो यह साबित होगा वह सिर्फ 24th तीर्थंकर ही नहीं थे, जैन धर्म को फैलाने में उनका सबसे बड़ा योगदान है |

 

कैवल्य ज्ञान 42 की उम्र में प्राप्त किया, मोक्ष ले सकते थे लेकिन नहीं | कहने लगे जो प्राप्त किया है वह वापस समाज को देकर तभी लौटूंगा | 30 वर्ष तक देशना दी (discourses किए) और 72 की उम्र में मोक्ष लिया | चिंतन के मार्ग पर लिखित पुस्तकें बड़ी मददगार साबित होती हैं जैसे गीताप्रेस की विभिन्न टीकाएं | अध्यात्म के मार्ग पर सिर्फ पढ़कर कुछ प्राप्त नहीं होता, अंदर छिपे मर्म तक पहुंचना होता है |

 

What spiritual books should i read | कौनसी आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़े | Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.