आध्यात्मिक मार्ग पर हमें ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है (फिजिकल + मानसिक ब्रह्मचर्य) | अगर बाल्टी में छेद होगा तो मूलाधार में अमृत इकठ्ठा कैसे होगा ? हम वासनाओं में डूबकर अगर मूलाधार खाली करते रहेंगे तो कुण्डलिनी ऊर्ध्व कैसे होगी ?
अमृतपान सिर्फ कुण्डलिनी के द्वारा हो सकता है | आध्यात्मिक प्रगति के लिए यह बेहद आवश्यक है कि हम फालतू की सेक्सुअल क्रियाओं में अपना अमृत जाया न करें और उसे कुण्डलिनी की ओर channelize कर दें |
What is the concept of Brahmacharya? ब्रह्मचर्य क्या है | Vijay Kumar Atma Jnani