जैसा हम विचारेंगे – हम वैसे ही हो जाएंगे | अच्छा साहित्य पढ़ने के बाद इंसान जिन विचारों में संलिप्त रहता है – वैसा ही हो जाता है | अगर आध्यात्मिक साहित्य हमें अच्छे विचार अधिग्रहण करने पर विवश करते हैं तो हमारा व्यक्तित्व उसी अनुसार ढल जायेगा | लेकिन अच्छा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के बावजूद अगर हम गलत पाप क्रियाओं में लिप्त रहते हैं तो हमें कौन बदल सकता है – खुदा भी नहीं ?
यह बात सत्य है अच्छा साहित्य सही रास्ते की ओर ढकेलेगा लेकिन तभी जब हम अपने अंदर उमड़ते विचारों पर नकेल कसें रक्खें | मैंने अक्सर देखा है लोग आध्यात्मिक सत्संग करते हुए, अच्छा आध्यात्मिक साहित्य पढ़ते हुए – अगर कोई लड़की पास से गुजर जाए तो ताकेंगे जरूर | क्यों – क्योंकि आपके मन में आध्यात्मिक नहीं अपितु अश्लील विचार उमड़ रहे हैं | यह सभी के साथ नहीं होता लेकिन ज्यादातर भारतीय इसी category में आते हैं |
68 की उम्र पार कर लेने के बाद भी कुछ भाभियों की मेरी पत्नी से शिकायत रहती है – जब हम भाईसाहब को नमस्ते करती हैं तो जवाब नहीं देते ? अब मैं उन्हें कैसे बताऊं कि आज भी मेरी नजर नारियों के पैरों से ऊपर उठती ही नहीं – बचपन में लिया प्रण आज भी चालू है | अब धीरे धीरे बदल रहा हूं और ब्रह्म से हमेशा प्रार्थना करता रहता हूं कि हर भाभी में मां देखूं | ऋषि विश्वामित्र बनने में सेकंड नहीं लगेगा | पहले वैचारिक दोष उत्पन्न होता है और फिर व्यावहारिक |
What spiritual books should i read | कौनसी आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़े | Vijay Kumar Atma Jnani