छट्ठी इंद्री जगाने के लिए क्या करना जरूरी है ?


छठी इंद्री, पूर्ण कुण्डलिनी जागरण, सातों चक्रों का खुलना, तत्वज्ञान प्राप्त होना, ब्रह्मज्ञानी बनना – सभी एक ही बात कहते हैं कि मनुष्य रूप में जन्म मृत्यु का भ्रमण अब समाप्त हो गया और ८४ लाखवी योनि में पहुंच आत्मा अपने शुद्ध रूप में वापस आ गई |

 

यह संभव हो पाता है जब साधक अध्यात्म के रास्ते पर चलकर १२ वर्ष की अखंड ब्रह्मचर्य और ध्यान की तपस्या पूरी कर ले | राम का १४ साल का वनवास, महावीर की १२ वर्ष की टीले पर तपस्या, बुद्ध का १२ साल बोधि वृक्ष के नीचे समाधिस्थ होना कुछ तो कहते हैं |

 

12 years Tapasya | 12 साल की घोर तपस्या का सच | Vijay Kumar Atma Jnani

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