कर्मों की पूर्ण निर्जरा करने के लिए सिर्फ पांचों इन्द्रियों पर पूर्ण कंट्रोल काफी नहीं लेकिन हां – पांचों इंद्रियों पर control आ गया तो मन पर भी आ ही जाएगा | मन पर पूर्ण कंट्रोल आते ही ऐसी स्थिति तक पहुंचना है जब हमारे अंदर न तो एक भी विचार आए और न अंदर से बाहर जाए और शून्य की स्थिति आ जाए | यह ध्यान (चिंतन) के द्वारा संभव है |
साथ ही हमें 12 वर्ष की ब्रह्मचर्य की अखंड तपस्या में उतरना होगा | इस तरह हम निर्विकल्प समाधि की स्थिति में पहुंच जाएंगे और कुण्डलिनी भी पूर्ण जागृत हो जाएगी | अब हम ब्रह्म का साक्षात्कार करने के लिए पूर्ण सक्षम हैं | अध्यात्म में हमारी हर समय यह कोशिश होनी चाहिए कि आत्मा जल्दी से जल्दी शुद्ध हो जाए | कर्म हमेशा निष्काम भाव से करें |
जब कर्मबंधन नहीं होगा तो कर्मों की निर्जरा तेजी से शुरू हो जायेगी | यहां यह बात हमेशा ध्यान रखें – सभी कुछ इस जीवन में मिल जाए संभव नहीं | जितनी भी progress होगी, निरंतर प्रयास तो जारी रहने चाहिएं | बाकी अगले जन्म में cover कर लेंगे |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani