भारतीय दर्शन शास्त्र कहते हैं हम मूलतः एक आत्मा हैं जो अपने अंदर समाहित अशुद्धि को समूल नष्ट करने के लिए 84 लाख योनियों के लंबे भंवर से गुजरते हैं | 84 लाख योनियों में आत्मा आखिरी 11 लाख योनियां मनुष्य रूप में धारण करती है |
तो धरती पर मनुष्य की मूल जिम्मेदारी क्या है ? आत्मा को assist करें जिससे वह जल्दी से जल्दी अपने शुद्ध रूप में वापस आ सके |
हम IIT से graduation कर लें या IIM से post-graduation, हमारा जीवन का primary goal फिर भी आध्यात्मिक सफर रहेगा | 11 लाख योनियों में हम किसी भी योनि में आध्यात्मिक सफर शुरू कर सकते हैं |
Graduation/post-graduation की जरूरत होती है रोटी रोज़ी के लिए, इससे ज्यादा कुछ नहीं | वह चाहे हम अपने देश में रहकर कर लें या पाश्चात्य जगत की गुलामी कर US जैसे country में settle हो जाएं |
मनुष्यों को जीवन के आखिरी सफर में भगवद गीता और उपनिषदों में उलझकर खुद को महावीर, बुद्ध, आदि शंकराचार्य, रामकृष्ण परमहंस या महर्षि रमण की भांति अध्यात्म में उतर मोक्ष लेना ही होगा |
What is the main Purpose of Life? मानव जीवन का मकसद | Vijay Kumar Atma Jnani