मैं उपनिषदों को पढ़ना चाहता हूँ – क्या इन्हें पढ़ने का कोई खास तरीका है ?


वेद, उपनिषद और भगवद गीता के श्लोक पढ़ने के लिए नहीं, चिंतन और मनन के लिए होते हैं | हर श्लोक गागर की तरह होता है जिसमें ज्ञान का सागर समाया हुआ है (गागर में सागर) | आज के समय में जो थोड़े बहुत गुरुकुल चल भी रहे हैं वे सर्वथा ज्ञान से रिक्त हैं | रटने के अलावा उन्हें कुछ नहीं सिखाया जाता | स्लोक का उच्चारण किसी भी छात्र से करवा लीजिए लेकिन अंदरूनी मर्म किसी को भी पता नहीं | यहां तक अध्यापक और प्रधानाध्यापक भी बिल्कुल कोरे |

 

Example के तौर पर आपको एक बात बताता हूं –

 

जब मैंने अध्यात्म में 6 वर्ष की आयु में serious कदम बढ़ाया तो मुझे धर्म और religion (कर्मकांडो, मतों, मजहबों) और अध्यात्म में फर्क समझना था | घर में और बाहर सभी से पूछा, किसी को सही उत्तर नहीं मालूम | स्वयं विचार करना शुरू किया, घोर चिंतन मनन | आप विश्वास करेंगे – धर्म और religion का फर्क समझ आने में 9 वर्ष लगे और उत्तर जब ऊपर से उतरा तो ऐसा लग रहा था सीधे ब्रह्म मेरे मस्तिष्क में उड़ेल रहे हों |

 

मैं अपनी खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकता – सातवे आसमान पर जो था मैं | ब्रह्म को कई बार शुक्रिया अदा किया | लेकिन धर्म, religion और अध्यात्म – तीनों में फर्क समझना अभी बाकि था | और 6 वर्ष लगे – पूरे 15 वर्षों में तीनों का फर्क समझ आया | मेरी उम्र उस समय 22 वर्ष थी | तो आजकल के गुरुकुल में धर्म अध्यात्म और religion की परिभाषा कैसे इतनी जल्दी पढ़ा दी जाती होगी – संभव ही नहीं |

 

उपनिषदों के किसी किसी श्लोक में इतना सार है कि चिंतन मनन में ही महीनों निकल जाएंगे – तब जाकर सार समझ आएगा | यही हाल भगवद गीता के श्लोकों का है | उपनिषदों और भगवद गीता के श्लोकों में उलझने से पहले हमें ध्यान क्या है और कैसे किया जाता है सीखना होगा | अगर हमें ध्यान की सही प्रक्रिया समझ आ गई तो ध्यान 24 घंटे किया जा सकता है – सोते जागते | और शोरगुल वाली भीड़ में तो सबसे अच्छा |

 

यह आजमाने के लिए कि भीड़, शोरगुल में वाकई ध्यान लगा सकते है या नहीं – मैं 3 दिन लगातार AIIMS, South Delhi के चौराहे पर गया – शाम के समय जब सबसे ज्यादा भीड़ और शोरगुल रहता है | पुरानी बात है शायद 1988 – तब तक कोई flyover नहीं बना था | AIIMS के मेन गेट के बाहर चबूतरे पर बैठ आराम से ब्रह्म से बातें करता | लोग कोतूहल से मेरे चेहरे के शांत भाव को देखते लेकिन मुझे क्या ! लौट कर मां को सारी बातें बताता (मां भी सोचती होगी कैसी औलाद पैदा की है) | 2 से 3 घंटे ब्रह्म से बातचीत – कम नहीं होती |

 

नीचे दिए video में ध्यान क्या है – कैसे किया जाता है – विस्तार से समझाया है |

 

Dhyan kaise karein | ध्यान करने की सही विधि | Vijay Kumar Atma Jnani

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