जब मनुष्य कोई भी कर्म करता है तो फल (पारिश्रमिक) उत्पन्न होगा और अपने वक़्त पर ही मिलेगा | फल कब और कैसे मिलेगा यह मनुष्य के हाथ में नहीं | फल हमेशा मालिक का होता है यानि आत्मा का | लेकिन मनुष्य कर्म में उलझता है फल के लालच में |
मनुष्य का फ़र्ज़ है कर्म करना | भगवद गीता में भगवान कृष्ण कहते है कर्म करते रहो फल की चिंता मत करो | ऐसा इसलिए क्योंकि फल तो आत्मा का हुआ | प्रश्न उठता है कि मनुष्य बिना फल के कर्म करेगा क्यों ? जब फल के बारे में कुछ नहीं मालूम यह कैसे ज्ञात होगा जो कर्म कर रहे हैं सही है या गलत ?
ब्रह्म के अनुसार कर्म तो हमें हर समय करना ही होगा | कर्मफल तुरंत मिल सकता है, ४ दिन बाद , ६ महीने बाद, २ साल बाद या फिर 4 योनि बाद | कर्मफल balance sheet की तरह काम करता है |
अगर हमारे पास १०० रुपए हैं और हमने बिजनेस में २०० और कमाए तो कर्मफल ३०० हो गया | लेकिन इस ३०० में से कितना हमें कब मिलेगा नहीं मालूम | कितना संचित हो जाएगा और कितना precipitate, किसी को नहीं मालूम |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani