भगवान के घर देर है अंधेर नहीं पर देर क्यों ?


क्या आप 99 degree तक पानी गरम करके भांप बना सकते हैं – भांप तो 100 degrees पर ही बनेगी | हम असल जिंदगी में 98 degrees पर ही फल का इंतज़ार करने लगते हैं | अभी 99 फिर 100 तक इंतजार तो करें – अन्यथा देरी के लिए भगवान को कोसने लगेंगे | कर्म theory प्रधान है |

 

कर्म किया है तो फल तो मिलेगा लेकिन उचित समय पर |

 

अब हमने कर्म किया जिसका पारिश्रमिक +2 हुआ, तो हमे फल का इंतजार रहेगा | लेकिन जब फल मिलना है तो संचित प्रारब्ध कर्मफल फलित हो गया जो -4 था | तो हमे फल क्या मिलेगा -2 और हम सोचेंगे सबकुछ तो ठीक किया था फिर भगवान ने दंड स्वरूप -2 क्यों दिए | हम भूल जाते हैं संचित प्रारब्ध हमारे पूर्व जन्मों का ही कर्मफल है |

 

अगर पूर्व जन्मों का संचित प्रारब्ध कर्मफल (-) negative है तो इसमें भगवान की क्या गलती | पिछले जन्मों में किए पापकर्मों का फल अंततः लौट कर हमें ही मिलेगा | इसलिए भगवद गीता में कृष्ण हर समय पुण्य अर्जित करने पर जोर देते हैं |

 

तो ध्यान रहे – जो मिल रहा है या मिलेगा – सब कुछ हमारे अपने किए कर्मों का ही फल है – चाहे इस जन्म के या पिछले जन्मों के कर्म | देर कहीं नहीं है – फल 100 पर ही मिलेगा, 98 या 99 पर भी नहीं |

 

What is Prarabdha Karma | प्रारब्ध कर्म क्या होता है | Vijay Kumar Atma Jnani

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