योगी शब्द एक साधक के लिए इस्तेमाल होता है जो ब्रह्म से हमेशा के लिए जुड़ना चाहता है | हर योगी के लिए आवश्यक है कि वह एक उच्च दर्जे का निष्काम कर्मयोगी भी हो | कर्म तो करने ही होंगे चाहे आध्यात्मिक हों या नहीं – अगर आध्यात्मिक हैं तो कर्म निष्काम भावना से करने होंगे | साधक सच्चा योगी तभी बनता है जब वह निष्काम कर्मयोग की प्रबलता को भलीभांति समझ ले |
कोई भी इंसान बिना निष्काम कर्मयोगी बने ब्रह्म का साक्षात्कार प्राप्त नहीं कर सकता | स्वामी विवेकानंद और महर्षि रमण दोनों ही उच्च कोटि के कर्मयोगी थे – तभी वह अध्यात्म के क्षेत्र में इतनी प्रगति कर पाए | अध्यात्म के क्षेत्र में हम जिस कार्य को भी करेंगे वह निष्काम भावना से होना ही चाहिए | जब आत्मा को उचित कर्मफल मिलेगा तो आध्यात्मिक उन्नति तो होगी ही |
योगी बनना आसान है लेकिन सफल कर्मयोगी बनना बेहद मुश्किल | जब हम निष्काम कर्मयोग के रास्ते पर चलने लगते हैं तो शुरुआत में प्रगति धीरे होगी लेकिन अंततः तेजी पकड़ लेगी | कर्मफल की चिंता साधक को कभी भी नहीं करनी चाहिए – सब कुछ प्रभु की मर्ज़ी पर छोड़ देना चाहिए | जब जीवन लक्ष्य निर्धारित कर ही लिया तो चिंता कैसी – उचित समय पर फल भी मिलेगा |
Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani