कर्म के जाल को कैसे तोड़ें ?


भगवद गीता में कृष्णानुसार कर्म को कर्म के द्वारा ही नष्ट किया जा सकता है | जब हम किसी भी कर्म को निष्काम भाव से करेंगे और कर्मफल की चिंता नहीं करेंगे तो कर्मों की निर्जरा शुरू हो जायेगी और कर्म हमें बांधेंगे नहीं | धीरे धीरे कर्मबंधन कम होने शुरू हो जायेंगे |लेकिन क्या इतना ही काफी होगा ? नहीं |

 

उन कर्मों का क्या जो पिछले जन्मों से चले आ रहे है और जिन्हें अभी फलित होना बाकी है ? ऐसे संचित प्रारब्ध कर्मों की निर्जरा कैसे होगी ? इसके लिए हमें प्रारब्ध कर्म का मंत्र मालूम होना भी जरूरी है | प्रारब्ध कर्मों को काटने का मंत्र इस दुनिया में किसी को भी नहीं मालूम | बड़े सालों के बाद मुझे इस मंत्र का आभास हुआ |

 

उसके बाद फिर मैंने मुड़ कर नहीं देखा | प्रारब्ध कर्म के मंत्र के द्वारा मैंने हर उस कर्मबंधन को जड़ से उखाड़ फेंका जो पिछली जिंदगियों से चले आ रहे थे | जब मैं प्रारब्ध कर्मबंधन से पूर्णतया मुक्त हो गया तो जल्दी ही निर्विकल्प समाधि की अवस्था में पहुंच गया |

 

Nishkama Karma Yoga | निष्काम कर्म योग का महत्व | Vijay Kumar Atma Jnani

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