ब्रह्म ने अपने आप को प्रस्फुटित किया big bang के द्वारा और ब्रह्मांड existence में आ गया | सारी आत्माएं पूरे ब्रह्मांड में बिखर गई | अपने ब्रह्मांडीय सफर में आत्माओं ने अपने अंदर अशुद्धियां ले ली | जैसे ही धरती मां जैसे planet evolve हुए, आत्माओं ने धरती पर शरीर धारण करना शुरू कर दिया | और आत्माओं की ८४ लाख योनियों की यात्रा शुरू हो गई |
धरती पर आत्मा ने सबसे पहले अमीबा का रूप धारण किया (single cell formation), धरती पर पहला जीव | फिर insects छोटे जीव जंतुओं की योनि में आयी, फिर पेड़ो की योनि, फिर पशुओं की और अंततः मनुष्य योनि | मनुष्य योनि प्राप्त करने से पहले हम (जो कि असलियत में आत्मा हैं) ७३ लाख योनियां निचली योनियां में गुजार चुके हैं |
मनुष्य रूप में ब्रह्म ने ११ लाख योनियों स्थापित की हैं हमारे मोक्ष प्राप्त करने के लिए | हम सबसे उच्च योनि में स्थापित हैं | अध्यात्म का रास्ता पकड़कर, ध्यान में उतरकर हम कब जन्म और मृत्यु के चक्रव्यूह से बाहर निकाल जाएंगे, यह सिर्फ हमारे ऊपर निर्भर है | रामकृष्ण परमहंस और महर्षि रमण ने तो कर लिया, अब हमारी बारी है |
Are there 8.4 million species on Earth? चौरासी लाख योनियों का सच | Vijay Kumar Atma Jnani