कर्मो का जिम्मेदार कौन है आप या परमात्मा ?


ब्रह्म एक दृष्टा की भांति कार्य करते हैं | ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के बाद पूरी सृष्टि को छोड़ देते हैं धर्म और कर्म के सहारे | धर्म हर जीव के साथ जन्म से विद्यमान है | तभी हम पशुओं से भिन्न हैं | जीवन का हर पल, धर्म हमें govern (control) करता है |

 

कर्म ब्रह्माण्ड का मूल सिद्धांत है | बिना कर्म किए कर्मों की निर्जरा संभव नहीं | अकर्मण्यता संभव नहीं | हम सांस लेते हैं वह भी कर्म है | ब्रह्माण्ड बनने के बाद जब आत्माएं ८४ लाख योनियों के भ्रमण पर निकल जाती हैं तो धर्म और कर्म के आधार पर जीवन आगे बढ़ता है |

 

जीव (आत्मा + शरीर) को जीवन में आगे बढ़ने के लिए कर्म करने ही होंगे | हम क्या कर्म करते हैं या करेंगे इससे ब्रह्म का कोई वास्ता नहीं | जैसे जैसे कर्मों की निर्जरा होती जाएगी हमारा आध्यात्मिक मार्ग प्रशस्त होता जाएगा | ब्रह्माण्ड में अगर कर्म नहीं होते तो जीवन आगे कैसे बढ़ता ?

 

धरती पर इंसान सुखों से परेशान नहीं लेकिन दुखों के साए में घिरा रहता है | क्या करे, कुकर्म करने से उसे तकलीफों का सामना जो करना पड़ता है | अगर हम अपना जीवन संवारना चाहते हैं तो पुण्य कर्म करें, बुरे कर्मों में उलझे ही क्यों | कर्म बुरे नहीं होते, गलत होती है हमारी सोच जो हमसे बुरे कर्म करवाती है |

 

What Karma really means? कर्म का वास्तव में क्या अर्थ है? Vijay Kumar Atma Jnani

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