आज से लगभग ८००० साल पहले मनुष्यों को पूजापाठ और यज्ञ इत्यादि की जरूरत होती थी | जब से भगवद गीता का ज्ञान मानव धर्म को मिला है पूजापाठ आदि की जरूरत ही नहीं | क्यों ?
आज के समय में आध्यात्मिक सफर ज्ञान योग के द्वारा संभव है भक्ति योग के माध्यम से नहीं | रामकृष्ण परमहंस ने जब देखा सिर्फ भक्ति से काम नहीं चलेगा तो वह ज्ञान योग के रास्ते पर मुड़ गए | ज्ञान योग के रास्ते पर वही साधक चल सकता है जो कर्मयोग को भलीभांति समझता हो |
What is meant by Jnana Yoga? ज्ञान योग से क्या अभिप्राय है? Vijay Kumar Atma Jnani