कलियुग को आने से रोका जा सकता है क्या ?


जिस प्रकार घड़ी की सुई लगातार चलती/ घूमती रहती है उसी प्रकार विभिन्न युगों का उदय होता है | दिन के 12 बजे का वक़्त है, सूर्य पूरी तेजी के साथ चमक रहा है यानी हम सतयुग के अंतिम दौर से गुजर रहे हैं | जैसे ही सूरज ढलने लगता है, त्रेता युग शुरू हो चुका है | शाम के 6 बजने तक त्रेता युग का भी अंत हो जाएगा | यानी सतयुग की गरिमा का असर सिर्फ त्रेता युग तक रहता है |

 

अब अंधेरा शुरू हो चुका है यानी द्वापर युग शुरू हो गया है | हम गहन अंधेरे की ओर बढ़ रहे हैं | रात के 12 बजे और कलियुग की शुरुआत | धीरे धीरे सुबह के 4 बजते हैं और गहन काली अंधेरी रात, घोर कलियुग शुरू हो रहा है | घड़ी की सुई 4 am से आगे निकल चुकी है, संधिकाल का समय चालू हो गया है | 5 बजते ही बिगुल बज जाएगा और आज के समय की महाभारत (world war lll) शुरू हो जाएगी जिसे जैन शास्त्रों में chattam chatta कहा गया है यानी समाज की छटाई (शुद्धि) का समय |

 

सुबह 5 am से 6 am तक शिवजी का तांडव नृत्य और लगभग 120 ~ 140 करोड़ लोगों की मौत | सुबह के 6 am और भोर हो गई | एक नए युग की शुरुआत – सतयुग | कलियुग का अंत हमेशा सतयुग की शुरआत के साथ होता है |

 

युगों का rotation किसी के हाथ में नहीं – सब निर्भर है कर्म theory पर | जैसा कर्म पूरी मानवता करेगी (सभी 800 करोड़ लोग), वैसा ही कर्मफल भी होगा | कलियुग का अंत अवश्यंभावी है, तभी तो अधर्म के ऊपर धर्म की जीत होगी | आने वाला WW3 धर्मयुद्ध भी कहलाएगा |

 

आने वाला समय इतनी खुशियां लेकर आएगा लेकिन लगभग 140 करोड़ लोगों की मृत्यु के बाद | आखिर समाज की छटाई भी तो जरूरी है | दुनिया की लगभग 20% population कम हो जाएगी |

 

2024 से 2032 तक का समय आध्यात्मिक दृष्टिकोण से | Vijay Kumar Atma Jnani

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.